Well, it's been a while, hasn't it? A little over a month, up to yesterday's brief post. I have lots of thoughts I've been meaning to post here. Things have been a little busy, though - and most of my blog action has been on Filmi Geek. I'll try to catch up over the next couple of weeks. In the meantime, here's a composition I wrote for the final exam in my second-year HIndi class which, I am sad to say, met for the last time earlier this evening. Those of you who don't read Hindi can count yourselves fortunate - it's a pretty vapid little composition!
हलाँकी नसीम जी ने पूछा कि हम क्लास-वाली फ़िल्मों के बारे में लिखें, मुझे आशा है ठीक होगी अगर मैं सब हिन्दी फ़िल्मों के बारे में लिखूँ ।
मैं दो साल से हिन्दी फ़िल्में देख रही हूँ और इस समय में मैंने क़रीब-क़रीब सौ फ़िल्में देख ली हैं । इस से ज़ाहिर होगी कि हिन्दी फ़िल्में मुझे बहुत अच्छी लगती हैं ।
जो फ़िल्में मुझे सबसे अच्छी लगती हैं, वे दो तरहों की हैं । एक तरह काफ़ी गंभीर है - ये फ़िल्में जो कभी कभी "parallel cinema" कहलाती हैं । अक्सर इनको राजनीतिक विषय हैं - यानी ग़रीबी, जाति-वाले सिलसिले, या औरतों की हालत । फ़िल्म-स्टार जिनसे मुझको सबसे बड़ा प्यार है - शबाना आज़्मी - वे बहुत-सी ऐसी फ़िल्मों में हैं ।
Parallel cinema के सिवाय मश्हूर हिन्दुस्तानी अंदाज़ की फ़िल्में भी मुझे पसंद है - यानी लंबी फ़िल्में जिनमें बहुत नाटक, बड़ी भावनाएँ, और बढ़िया नाच-गाना हैं । क्योंकि मैं हिन्दुस्तानी नहीं, ऐसी फ़िल्में देखना मेरे लिये एक खिड़की हिन्दुस्तानी संस्कृति में है । ऐसी फ़िल्में देखते देखते मैं हँसकर-रोकर हिन्दुस्तान के बारे में सीखना शुरू कर सकती हूँ ।
मेरे लेख हिन्दी फ़िल्मों के बारे में दो वेबसाईटों पर प्रकाशिक हैं । ( वे लेख अंग्रेज़ी में लिखे जाते हैं क्योंकि अभी हिन्दी में मैं बहुत सरल ही विचार लिख सकती हूँ । ) सारी दुनिया-वाले लोग मेरे लेख पढ़ते हैं; मुझे बिलकुल खुशी है कि मेरे विचार इतने लोगों को दिलचस्प लगते हैं ।
जैसे हिन्दी फ़िल्में हिन्दि बोलनेवाले लोगों की सुन्दरता और विभिन्नता दिखाई देती हैं वैसे वे भावुक कहानियों और अच्छे संगीत के द्वारा विभिन्न लोगों को मिला सकती हैं |
Although Naseem ji asked that we write about films from class, I hope it will be all right if I write about Hindi films generally.
I have been watching Hindi movies for two years, and in that time I have seen almost 100 movies. It should be obvious from this that I like them Hindi movies very much.
The films that I like best are of two types. One type is somewhat serious - these films are sometimes called "parallel cinema". Often they have political subjects - such as poverty, caste relations, or the status of women. The film star whom I love the most - Shabana Azmi - is in many such films.
Apart from parallel cinema, I also like films in the famous Indian style - in other words, long movies having lots of drama, big emotions, and excellent song and dance. Although I am not Indian, watching these films is for me a window into Indian culture. While watching such films, laughing and crying, I can begin to learn about India.
My writings about Hindi films are published on two websites. (These articles are written in English because I still can write only very simply ideas in Hindi.) People from all over the world read my writings; I am delighted that so many people find my thoughts interesting.
Just as Hindi films reflect the beauty and diversity of Hindi-speaking people, they can connect diverse people by means of emotional stories and great music.